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STORY OF A PATIENT
यह कहानी झालावाड़ जिला के पास एक गांव की है जहां पर एक महिला जिसका नाम मीना अपने परिवार के साथ रह रही थी इसका डिलीवरी का टाइम नजदीक ही था पर डॉक्टर को अपनी गरीबी के चलते समय पर नहीं दिखा पाती इसी कारण वह डिलीवरी का टाइम नजदीक होने पर भी अस्पताल नहीं जा सकी वह घर पर ही प्रसव पीड़ा शुरू हो गई और महिला ने दो सुंदर बच्चों को जन्म दिया इसके बाद दो-तीन घंटे सब कुछ ठीक रहा कि अचानक मरीज को भयंकर रक्त स्त्राव शुरू हो गया मरीज को तुरंत झालावाड़ लाया गया झालावाड़ में कुछ समय के लिए मरीज को भर्ती किया किंतु स्थिति की गंभीरता को देखते हुए डॉक्टरों ने उसको कोटा रेफर कर दिया मरीज को वह उसके अटेंडेंट को पता था की कंडीशन क्रिटिकल है अतः उसने यह निश्चय किया की उसको कोटा के किसी क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल में भर्ती कराया जाए.
अतः मरीज के परिजन उसको राधा कृष्ण क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल में लेकर आए जहां पर डॉ कमलेश अग्रवाल वह डॉक्टर सुनीता अग्रवाल ने मरीज को देखकर बताया की मरीज की कंडीशन बहुत नाजुक है उसके अत्याधिक रक्त स्त्राव के कारण खून की बहुत कमी हो गई है और मरीज की जान जाने का जोखिम बहुत ज्यादा है यह सभी बात मरीज के परिजनों को समझा कर इलाज शुरू किया किंतु दूसरे दिन जो जांच की रिपोर्ट हाई वह बहुत डरावने वाली थी क्योंकि उसमें एक गंभीर बीमारी जिसका नाम डी आई सी व मल्टी ऑर्गन फेलियर से पीड़ित थी उसके शरीर के लगभग सभी अंगों ने काम करना कम कर दिया था क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट डॉ कमलेश अग्रवाल ने इसको चैलेंज लेते हुए इलाज में कुछ बदलाव कर और अधिक मेहनत से इलाज शुरू किया किंतु मरीज तीसरे दिन गहरी कोमा में चली गई और अब लग रहा था की मरीज का बचना नामुमकिन है डॉ कमलेश अग्रवाल वह मरीज के परिजन काफी परेशान व एवं दुखी थे किंतु फिर भी हिम्मत नहीं हरी थी और कुछ अन्य डॉक्टर से परामर्श लिया और कुछ बदलाव के साथ और इलाज शुरू किया धीरे धीरे लगा की मरीज ठीक हो रहा है और पांचवे दिन मरीज को पूर्णतया होश आ गया अब उसका खून की मात्रा भी नॉर्मल हो चुकी थी पेशाब की मात्रा भी नॉर्मल आ रही थी शरीर में इंफेक्शन की मात्रा भी कम हो चुकी थी सातवें दिन मरीज लगभग पूर्णतया स्वस्थ हो चुका था और उसको राधा कृष्ण क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया मरीज व उसके परिजन बहुत खुश थे की मरीज की जान बच गई उन्होंने डॉ कमलेश अग्रवाल का बहुत-बहुत धन्यवाद व्यक्त किया डॉ कमलेश अग्रवाल भी बहुत खुश हुए की उनकी मेहनत वह भगवान के आशीर्वाद से किसी मरीज की जान बची
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कोटा के निजी अस्पताल मासूम मरीज़ की जान बाची
कोटा के निजी अस्पताल मासूम मरीज़ की जान बाची
दिनांक 25 जून 2020 को राधा कृष्ण क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल में एक मरीज जिसका नाम कशिश भर्ती हुई जिसको साथ में सांस लेने में परेशानी आ रही थी भर्ती करके डॉक्टरों की टीम में भर्ती करके मरीज का इलाज शुरू किया वह कुछ आवश्यक जांच की गई जांच की रिपोर्ट आने पर पता चला की मरीज कशिश के डायाफ्राम में छेद है जिसके कारण एक फेफड़ा पिचक चूका हे आमाशय ने ने डायग्राम के क्षेत्र में से जगह बना कर दाएं साइड के फेफड़े फेफड़े में चला गया और उसने दाएं फेफड़े को पूरी तरह से दबा दिया इसी कारण से मरीज को सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा था मरीज की कंडीशन धीरे-धीरे बिगड़ती जा रही थी ऐसा लग रहा था की शायद जल्दी इसको सांस लेने की मशीन यानी कि वेंटिलेटर पर रखना पड़ सकता है राधा कृष्ण क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल के चिकित्सक में उसका मैं उसका राधा कृष्ण क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल के चिकित्सकों ने तुरंत उसका ऑपरेशन करना उचित समझा मरीज के रिश्तेदार को बीमारी की गंभीरता को समझाते हुए उसका
ऑपरेशन शुरू किया ऑपरेशन के दौरान कार चला ऑपरेशन के दौरान पता चला की मरीज के आमाशय में भी छेद है यानी कि आमाशय फटा हुआ है साथ में डायाफ्राम में बहुत बड़े छेदके कारण पूरा अमाशय फेफड़े की तरफ जा चुका है इसी कारण उसको सांस लेने में परेशानी आ रही थी इन सब बीमारियों का तुरंत प्रभाव से से ऑपरेशन किया गया समय रहते सही इलाज मिलने से मरीज की जान बची ऐसा बताया जाता कि इस तरह की बीमारी सामान्यतया जन्मजात विकृतियों में आती है किंतु इस मरीज कशिश के यह बीमारी किसी चोट लगने के कारण पैदा हुई जोकि सामान्यतया एक असामान्य घटना के अंतर्गत आते हैं मरीज के रिश्तेदार ने डॉक्टर व् अस्पताल प्रशाशन का बहुत-बहुत धन्यवाद ज्ञापित किया जिसकी वजह से मरीज की जान बची
राधा कृष्णा मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल कोटा ने एक बार फिर चिकित्सा क्षेत्र मे कीर्तिमान स्थापित किया. अस्पताल के चिकित्सको ने हाल ही मे एक 2 साल के बच्चे का सफल ऑपरेशन किया. ये बच्चा कन्जेनाईटल डाईफ्रागमेटिक हर्निया नाम की बीमारी से पीड़ित था ऑपरेशन के दोरान ही पता लगा कि बच्चे के आमाशय (स्टॉमक) में छेद था जो पेट मे ना होकर छाती मे था. अधिकतर बच्चो मे इस बीमारी का पता जन्म पर ही चल जाता है.
ये बीमारी लाखो बच्चों मे से एक मे होती है, डाईफ्रागमेटिक हर्निया के साथ आमाशय मे छेद बहुत ही दुर्लभ है. अधिकतर बच्चे माँ के पेट मे या जन्म के कुछ समय बाद मर जाते हैं.
अस्पताल निदेशक डॉ कमलेश अग्रवाल ने बताया कि बच्चे को ऑपरेशन के बाद वेंटिलेटर पर आई सी यू मे गहन निगरानी मे रखा गया था और अब ये बिल्कुल स्वस्थ है
कोरोना के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी
Q 1 कोरोना बीमारी किस कीटाणु के कारण फैलती हे
ans कोरोना एक प्रकार का वायरस जिसे की कोरोना वायरस कहते हे उससे फैलता हे
Q 2कोरोना बीमारी से बचने के लिये क्या सावधानी रखनी चाहिए
ans कोरोना बीमारी से बचने के लिए सबसे जरुरी हे की हम सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करे
Q ३ कोरोना बीमारी किस तरह से फैलती हे
ans कोरोना बीमारी साँस के द्वारा हमारे फेफड़ो में पहुँचती हे वहाँ से शरीर के सभी अंगो मे फैलती हे
Q ४ कोरोना बीमारी के क्या लक्षण हे
ans इसमे मरीज को सर्दी जुकाम खांसी बुखार आदि लक्षण पाए जाते हे
Q कोरोना बीमारी का क्या इलाज है
कोरोना बीमारी का विशेष रूप से अभी तक कोई इलाज उपलब्ध नहीं है परंतु जो भी इलाज है वह सामान्यतया symptom के आधार पर किया जाता है जैसे कि बुखार आता है तो बुखार कम करने की दवाई दी जाती है ऑक्सीजन की मात्रा कम होने पर ऑक्सीजन लगाई जाती है इसीलिए यह बीमारी का बचाव भी एक महत्वपूर्ण इलाज है