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कोटा के निजी अस्पताल मासूम मरीज़ की जान बाची
कोटा के निजी अस्पताल मासूम मरीज़ की जान बाची
दिनांक 25 जून 2020 को राधा कृष्ण क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल में एक मरीज जिसका नाम कशिश भर्ती हुई जिसको साथ में सांस लेने में परेशानी आ रही थी भर्ती करके डॉक्टरों की टीम में भर्ती करके मरीज का इलाज शुरू किया वह कुछ आवश्यक जांच की गई जांच की रिपोर्ट आने पर पता चला की मरीज कशिश के डायाफ्राम में छेद है जिसके कारण एक फेफड़ा पिचक चूका हे आमाशय ने ने डायग्राम के क्षेत्र में से जगह बना कर दाएं साइड के फेफड़े फेफड़े में चला गया और उसने दाएं फेफड़े को पूरी तरह से दबा दिया इसी कारण से मरीज को सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा था मरीज की कंडीशन धीरे-धीरे बिगड़ती जा रही थी ऐसा लग रहा था की शायद जल्दी इसको सांस लेने की मशीन यानी कि वेंटिलेटर पर रखना पड़ सकता है राधा कृष्ण क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल के चिकित्सक में उसका मैं उसका राधा कृष्ण क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल के चिकित्सकों ने तुरंत उसका ऑपरेशन करना उचित समझा मरीज के रिश्तेदार को बीमारी की गंभीरता को समझाते हुए उसका
ऑपरेशन शुरू किया ऑपरेशन के दौरान कार चला ऑपरेशन के दौरान पता चला की मरीज के आमाशय में भी छेद है यानी कि आमाशय फटा हुआ है साथ में डायाफ्राम में बहुत बड़े छेदके कारण पूरा अमाशय फेफड़े की तरफ जा चुका है इसी कारण उसको सांस लेने में परेशानी आ रही थी इन सब बीमारियों का तुरंत प्रभाव से से ऑपरेशन किया गया समय रहते सही इलाज मिलने से मरीज की जान बची ऐसा बताया जाता कि इस तरह की बीमारी सामान्यतया जन्मजात विकृतियों में आती है किंतु इस मरीज कशिश के यह बीमारी किसी चोट लगने के कारण पैदा हुई जोकि सामान्यतया एक असामान्य घटना के अंतर्गत आते हैं मरीज के रिश्तेदार ने डॉक्टर व् अस्पताल प्रशाशन का बहुत-बहुत धन्यवाद ज्ञापित किया जिसकी वजह से मरीज की जान बची
राधा कृष्णा मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल कोटा ने एक बार फिर चिकित्सा क्षेत्र मे कीर्तिमान स्थापित किया. अस्पताल के चिकित्सको ने हाल ही मे एक 2 साल के बच्चे का सफल ऑपरेशन किया. ये बच्चा कन्जेनाईटल डाईफ्रागमेटिक हर्निया नाम की बीमारी से पीड़ित था ऑपरेशन के दोरान ही पता लगा कि बच्चे के आमाशय (स्टॉमक) में छेद था जो पेट मे ना होकर छाती मे था. अधिकतर बच्चो मे इस बीमारी का पता जन्म पर ही चल जाता है.
ये बीमारी लाखो बच्चों मे से एक मे होती है, डाईफ्रागमेटिक हर्निया के साथ आमाशय मे छेद बहुत ही दुर्लभ है. अधिकतर बच्चे माँ के पेट मे या जन्म के कुछ समय बाद मर जाते हैं.
अस्पताल निदेशक डॉ कमलेश अग्रवाल ने बताया कि बच्चे को ऑपरेशन के बाद वेंटिलेटर पर आई सी यू मे गहन निगरानी मे रखा गया था और अब ये बिल्कुल स्वस्थ है
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